पाँचवीं पुस्तक ‘ दि वर्ल्ड वी विश टु सी ' (2008) में समीर अमीन ने दुनिया में अब तक चले समाजवादी आंदोलनों, अब तक हुई समाजवादी क्रांतियों और उनके बाद बनी व्यवस्थाओं की सीमाओं की आलोचना की है और पूँजी के भूमंडलीय आधिपत्य के विरुद्ध “ जनगण के अंतरराष्ट्रीयतावाद ” के निर्माण की जरूरत पर जोर देते हुए उसकी संभावनाओं पर विचार किया है।